अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतिज़ार है
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
यही ज़िंदगी मुसीबत यही ज़िंदगी मसर्रत
यही ज़िंदगी हक़ीक़त यही ज़िंदगी फ़साना
- मुईन अहसन जज़्बी
ज़िंदगी क्या जो बसर हो चैन से
दिल में थोड़ी सी तमन्ना चाहिए
- जलील मानिकपुरी
जग में आ कर इधर उधर देखा
तू ही आया नज़र जिधर देखा
- ख़्वाजा मीर दर्द
Urdu Poetry: ख़्वाब होते हैं देखने के लिए, उन में जा कर मगर रहा न करो