अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
लिक्खा है जो तक़दीर में होगा वही ऐ दिल
शर्मिंदा न करना मुझे तू दस्त-ए-दुआ का
- आग़ा हज्जू शरफ़
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ
अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गईं आई गई
- साहिर लुधियानवी
अब तो कुछ भी याद नहीं है
हम ने तुम को चाहा होगा
- मज़हर इमाम
देखते हैं बे-नियाज़ाना गुज़र सकते नहीं
कितने जीते इस लिए होंगे कि मर सकते नहीं
- महबूब ख़िज़ां
Urdu Poetry: अब तो उन की याद भी आती नहीं