Urdu Poetry: उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है

अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली 

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उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है
- कफ़ील आज़र अमरोहवी

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वहाँ हमारा कोई मुंतज़िर नहीं फिर भी
हमें न रोक कि घर जाना चाहते हैं हम
- वाली आसी

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दिलों को तेरे तबस्सुम की याद यूँ आई
कि जगमगा उठें जिस तरह मंदिरों में चराग़
- फ़िराक़ गोरखपुरी 

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तुम्हें ख़याल नहीं किस तरह बताएँ तुम्हें
कि साँस चलती है लेकिन उदास चलती है
- महबूब ख़िज़ां 

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Urdu Poetry: तमाम खेल मोहब्बत में इंतिज़ार का है

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