अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है
- अहसन मारहरवी
दिलों को तेरे तबस्सुम की याद यूँ आई
कि जगमगा उठें जिस तरह मंदिरों में चराग़
- फ़िराक़ गोरखपुरी
इक तो वैसे ही उदासी की घटा छाई है
और छेड़ोगे तो आँसू भी निकल सकते हैं
- मुख़तार तलहरी
इक तो वैसे ही उदासी की घटा छाई है
और छेड़ोगे तो आँसू भी निकल सकते हैं
- मुख़तार तलहरी
तेरे आने की जब ख़बर महके
तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके
- नवाज़ देवबंदी
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का
- जौन एलिया
Urdu Poetry: इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ