अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
भीड़ तन्हाइयों का मेला है
आदमी आदमी अकेला है
- सबा अकबराबादी
हम लोगों को पानी अच्छा लगता है
हम लोगों ने मिट्टी पहनी हुई है दोस्त
- नईम सरमद
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
- बशीर बद्र
उस ने पूछा था क्या हाल है
और मैं सोचता रह गया
- अजमल सिराज
आदमी आदमी से मिलता है
दिल मगर कम किसी से मिलता है
- जिगर मुरादाबादी
फ़रिश्ता है तो तक़द्दुस तुझे मुबारक हो
हम आदमी हैं तो ऐब-ओ-हुनर भी रखते हैं
- दिल अय्यूबी
Urdu Poetry: आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना