अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ
- ख़्वाजा मीर दर्द
राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या
आगे आगे देखिए होता है क्या
- मीर तक़ी मीर
वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शह-ज़ोर अपने ज़ोर में गिरता है मिस्ल-ए-बर्क़
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले
- मिर्ज़ा अज़ीम बेग 'अज़ीम'
ग़ज़ल उस ने छेड़ी मुझे साज़ देना
ज़रा उम्र-ए-रफ़्ता को आवाज़ देना
- सफ़ी लखनवी
कोई फ़रियाद तिरे दिल में दबी हो जैसे
तू ने आँखों से कोई बात कही हो जैसे
- फ़ैज़ अनवर
न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है
हमें फिर भी गुमाँ है वो हमीं से प्यार करता है
- हसन रिज़वी
Motivational Poetry: प्रेरणा और उत्साह से भरी बातें