Urdu Poetry: आप का ख़त नहीं मिला मुझ को

अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली 

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आप का ख़त नहीं मिला मुझ को
दौलत-ए-दो-जहाँ मिली मुझ को
- असर लखनवी 

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ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
- साहिर लुधियानवी

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नींद मिट्टी की महक सब्ज़े की ठंडक
मुझ को अपना घर बहुत याद आ रहा है
- अब्दुल अहद साज़

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रवाँ-दवाँ है ज़िंदगी चराग़ के बग़ैर भी
है मेरे घर में रौशनी चराग़ के बग़ैर भी
- अख्तर सईदी

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Urdu Poetry: दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई

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