Urdu Poetry: ख़्वाब होते हैं देखने के लिए, उन में जा कर मगर रहा न करो

अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली 

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ख़्वाब होते हैं देखने के लिए
उन में जा कर मगर रहा न करो
- मुनीर नियाज़ी  

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ख़्वाब, उम्मीद, तमन्नाएँ, तअल्लुक़, रिश्ते
जान ले लेते हैं आख़िर ये सहारे सारे
- इमरान-उल-हक़ चौहान  

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मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे
न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

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तुम ज़माने की राह से आए
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का
- बाक़ी सिद्दीक़ी

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Urdu Poetry: कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे

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