अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो
आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना
- शकील बदायूंनी
अज़ल से क़ाएम हैं दोनों अपनी ज़िदों पे 'मोहसिन'
चलेगा पानी मगर किनारा नहीं चलेगा
- मोहसिन नक़वी
छपी थी जिस की ग़ज़ल में ज़माने भर की ख़ुशी
ख़ुद उस की ज़ीस्त का नग़्मा अज़ाब सा उभरा
- अब्दुल मतीन जामी
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
- नुशूर वाहिदी
मुझ को अब कैसे पा सकेगा कोई
वक़्त था और गुज़र गया हूँ मैं
- शारिक़ जमाल
अदू को छोड़ दो फिर जान भी माँगो तो हाज़िर है
तुम ऐसा कर नहीं सकते तो ऐसा हो नहीं सकता
- मुज़्तर ख़ैराबादी
निगाहें इस क़दर क़ातिल कि उफ़ उफ़
अदाएँ इस क़दर प्यारी कि तौबा
- आरज़ू लखनवी
Urdu Poetry: वो कौन था जो दिन के उजाले में खो गया