अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतिज़ार है
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
रात को सोना न सोना सब बराबर हो गया
तुम न आए ख़्वाब में आँखों में ख़्वाब आया तो क्या
- जलील मानिकपुरी
दरवाज़े को बंद न रखना
घर में जाला पड़ जाता है
- इक़बाल असलम
यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना
- क़तील शिफ़ाई
Urdu Poetry: ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है