अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है
ये नाव कौन सी है ये दरिया कहाँ का है
- अहमद मुश्ताक़
भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं
- लाला माधव राम जौहर
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
- जौन एलिया
जब से छूटा है गुलिस्ताँ हम से
रोज़ सुनते हैं बहार आई है
- जलील मानिकपुरी
Urdu Poetry: मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा