अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
- परवीन शाकिर
वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले
मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं
- शकील बदायूंनी
ऐश ही ऐश है न सब ग़म है
ज़िंदगी इक हसीन संगम है
- अली जवाद ज़ैदी
आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं
- नासिर काज़मी
Urdu Poetry: यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का