Jaun Eliya: सब के लिए बहुत हूँ मैं अपने लिए ज़रा नहीं

अमर उजाला

Thu, 23 October 2025

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ख़र्च चलेगा अब मिरा किस के हिसाब में भला
सब के लिए बहुत हूँ मैं अपने लिए ज़रा नहीं

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एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई
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जानिए उस से निभेगी किस तरह
वो ख़ुदा है मैं तो बंदा भी नहीं
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ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम
 

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मिल रही हो बड़े तपाक के साथ
मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या
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हम जो अब आदमी हैं पहले कभी
जाम होंगे छलक गए होंगे

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तिरी क़ीमत घटाई जा रही है
मुझे फ़ुर्क़त सिखाई जा रही है
 

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Urdu Poetry: ख़्वाब होते हैं देखने के लिए, उन में जा कर मगर रहा न करो

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