अमर उजाला
Sun, 27 April 2025
आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है
~ मुनीर नियाज़ी
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
मोहब्बत अब नहीं होगी ये कुछ दिन ब'अद में होगी
गुज़र जाएँगे जब ये दिन ये उन की याद में होगी
~ मुनीर नियाज़ी
मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर
ये सोच ले कि मैं भी तिरी ख़्वाहिशों में हूँ
~ अहमद फ़राज़
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
हर बरस के हों दिन पचास हज़ार
~ मिर्ज़ा ग़ालिब
Urdu Poetry: इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए