अमर उजाला
Mon, 29 December 2025
हार हो जाती है जब मान लिया जाता है
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है
- शकील आज़मी
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तिरे सामने आसमाँ और भी हैं
- अल्लामा इक़बाल
Urdu Poetry: भीड़ तन्हाइयों का मेला है, आदमी आदमी अकेला है