अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी
- अहमद फ़राज़
आप के बा'द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
- गुलज़ार
तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता
कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
- जलील मानिकपूरी
इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात
- फ़िराक़ गोरखपुरी
Urdu Poetry: मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का