Urdu Poetry: इस गर्मी में दरख़्तों के नाम कुछ शेर

Urdu Poetry: इस गर्मी में दरख़्तों के नाम कुछ शेर  

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शदीद धूप में सारे दरख़्त सूख गए
बस इक दुआ का शजर था जो बे-समर न हुआ
- अलीना इतरत 

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फलदार था तो गाँव उसे पूजता रहा
सूखा तो क़त्ल हो गया वो बे-ज़बाँ दरख़्त
- परवीन कुमार अश्क 

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दरख़्त कट गया लेकिन वो राब्ते 'नासिर'
तमाम रात परिंदे ज़मीं पे बैठे रहे
- हसन नासिर 

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अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है
दरख़्त नेकी बड़ी ख़ामुशी से करता है
- अतुल अजनबी  

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इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा
ये आख़िरी दरख़्त बहुत याद आएगा
- अज़हर इनायती

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Urdu Poetry: आज के चुनिंदा 10 शेर

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