क्या होता है डिजिटल सनसेट?

अमर उजाला

Tue, 21 October 2025

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डिजिटल सनसेट एक लोकप्रिय शब्द है जिसका इस्तेमाल आजकल सोने से 1-2 घंटे पहले डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल को पूरी तरह बंद करने की आदत के लिए किया जाता है।

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यह नाम इस विचार पर आधारित है कि जैसे सूरज डूबने के बाद दिन की रोशनी खत्म हो जाती है, वैसे ही रात में हमें कृत्रिम डिजिटल रोशनी को भी 'अस्त' कर देना चाहिए।

 

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मेलाटोनिन पर असर

डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी सीधे हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करती है। यह रोशनी नींद के लिए जरूरी हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन को रोक देती है।
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नींद की गुणवत्ता

मेलाटोनिन का उत्पादन बाधित होने से हमें जल्दी नींद नहीं आती और हमारी नींद का चक्र गड़बड़ा जाता है। इससे रात भर नींद की गुणवत्ता खराब रहती है, जिससे अगले दिन थकान महसूस होती है।
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मानसिक तनाव

रात को सोशल मीडिया या काम से जुड़ी चीज़ें देखने से मानसिक तनाव और चिंता बढ़ती है, जिससे दिमाग़ शांत नहीं हो पाता और सोना मुश्किल हो जाता है।
 
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डिजिटल सनसेट का अभ्यास करने से मेलाटोनिन का उत्पादन सामान्य रहता है, जिससे आप जल्दी और गहरी नींद लेते हैं।
 

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एक मुट्ठी मूंगफली सेहत का खजाना

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