सात फेरे रात में ही क्यों लिए जाते हैं? भारत में खासकर उत्तर भारत में रात की शादी भारतीय परंपरा की सबसे पुरानी धरोहर है। पुराने समय में जब आक्रमण होते थे, हिंदू परिवार बेटियों की रक्षा के लिए रात के सन्नाटे में विवाह करते थे। दक्षिण भारत के सूर्यवंशी सूरज की रोशनी में विवाह करते हैं, जबकि उत्तर भारत के चंद्रवंशी चांद की छांव में। सूरज शक्ति देता है, पर चांद शांति। शादी में ठहराव चाहिए न कि ताप। इसलिए चांद की चांदनी में सात फेरे लिए जाते हैं। विदाई से पहले वर ध्रुव तारा दिखाता है, जो कि स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक है और तारा रात में ही दिखता है। रात की शादी कोई सुविधा नहीं, ये वचन है कि जीवन उजाले और अंधेरे दोनों में निभाना है। चांद देखते समय याद रखना चाहिए, उसी ने तुम्हारे पवित्र बंधन की गवाही दी थी। पुरानी कथाओं में रात को देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद बताया गया है। लाइफस्टाइल