जानें कैसे बना 'भगोरिया' पूरे आदिवासी समाज की लोक संस्कृति का प्रमुख पर्व

अमर उजाला

Sat, 8 March 2025

Image Credit : amar ujala
आदिवासी लोक संस्कृति का प्रमुख पर्व भगोरिया शुरू हो रहा है, यह होली के सात दिन पूर्व से आदिवासी अंचलों में प्रमुखता से मनाया जाता है
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भगोरिया आदिवासियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसके लिए आदिवासी अपने-अपने घरों की लौट आते हैं
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भगोरिया पर्व में होली के एक हफ्ते पहले हाट बाजारों में रौनक बढ़ने के साथ मेला भरना भी शुरु हो जाता है, इसमें आदिवासी अपने विशेष परिधानों के साथ निकलते हैं
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कहा जाता था कि इन मेलों में पुरुष महिलाओं को पान खिलाते हैं और जो महिला पान खा लेती है तो उसका मतलब वो उससे शादी के लिए राजी है, हालांकि ये परंपरा पूरे आदिवासी समाज की नहीं  कुछेक लोगों के बीच थी

 
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बता दें कि भगोरिया पर्व महाशिवरात्रि पर्व का भीली संस्करण है, आदिवासी-भील अंचल के लोग इस पर्व को शिव पार्वती की स्मृति में ही आयोजित करते हैं
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भगोरिया और अन्य जनजाति उत्सव बड़े स्तर पर मनाए जाने की घोषणा भी की है जिससे भगोरिया के प्रति लोगों में उत्सुकता और बढ़ गई है
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बताया जाता है कि प्रसिद्ध इतिहासकार जेम्स टॉड ने जब आदिवासियों और उनकी परंपरा से जुड़े भगोरिया के बारे में जाना तो अपनी किताब 'एनाल्स एंड एंटी क्यूटीज ऑफ राजस्थान' में इसका जिक्र किया था
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आगामी दिनों में आदिवासी अंचलों में भगोरिया मेलों की धूम रहेगी, अगले वर्ष से यह पर्व और अधिक आकर्षक और पर्यटन की दृष्टि से भव्य स्तर पर आयोजित होने लगेंगे
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