जानिए क्या होती है 'गद्दी उत्सव' या 'पगड़ी दस्तूर' की प्रथा उदयपुर के राजमहल में बुधवार यानी आज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के गद्दी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है लेकिन क्षत्रिय महासभा ने इस पर आपत्ति जताई है। महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष अशोक सिंह ने एक आधिकारिक पत्र जारी कर इसे 'पगड़ी दस्तूर' करार दिया है क्षत्रिय महासभा का कहना है कि इस निजी आयोजन को 'राजतिलक' और 'गद्दी उत्सव' का नाम देना पारंपरिक मान्यताओं और संस्कृति के साथ खिलवाड़ है लक्ष्यराज सिंह द्वारा घोषित इस गद्दी उत्सव को लेकर विभिन्न पक्षों में मतभेद देखने को मिल रहे हैं पारंपरिक मान्यताओं के जानकारों के अनुसार, जब तक 16 उमराव और सलूम्बर रावत किसी व्यक्ति को गद्दी पर नहीं बैठाते, तब तक उसे मान्य राजा नहीं माना जाता है परंपरा के अनुसार, गद्दी पर बिठाने और राजतिलक करने का विशेष अधिकार सलूम्बर रावत के पास होता है यदि ये पारंपरिक पदाधिकारी इस समारोह में शामिल होते हैं और अपनी स्वीकृति प्रदान करते हैं, तो यह आयोजन गद्दी उत्सव माना जाता है लेकिन यदि वे इसमें शामिल नहीं होते तो इसे केवल 'पगड़ी दस्तूर' माना जाएगा, न कि राजतिलक या गद्दी उत्सव लक्ष्यराज सिंह मेवाड़