सांगानेरी प्रिंट बनाने के लिए जड़ी बूटियों का होता है प्रयोग

अमर उजाला

Wed, 5 February 2025

Image Credit : सोशल मीडिया

सांगानेरी प्रिंट का राजस्थान में करीब 1800 करोड़ रुपये का कारोबार होता है

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सांगानेरी प्रिंट को राजस्थान की सबसे पुरानी कला माना जाता है

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प्राकृतिक रंग की सहायता से कपड़े पर डिजाइन बनाई जाती है

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इसकी शुरुआत रॉयल फैमलीज के दौरान की मानी जाती है
 

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सांगानेरी प्रिंट की पहचान पूरे विश्व भर में है

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सांगानेरी प्रिंट की शुरुआत राजधानी जयपुर के सांगानेर से हुई थी

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इसके छपाई की शुरुआत आमेर के राजपरिवार ने की थी

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छपाई में मोम और जड़ी बूटियों का प्रयोग होता है

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यूरोपीय देशों में इसे चिंट्ज के नाम से जाना जाता है 

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