अमर उजाला
Tue, 27 May 2025
आज भी उनकी नीतियां जीवन में मार्गदर्शन का कार्य करती हैं
इस दौरान कार्यों में सफलता से लेकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए आचार्य चाणक्य ने सूत्र बताएं हैं
अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम्।
आत्मतुल्यबलं शत्रु: विनयेन बलेन वा।।
इसका अर्थ है कि यदि आपका शत्रु आपसे अधिक शक्तिशाली है, तो उसे जीतने के लिए उसके अनुकूल व्यवहार अपनाना चाहिए
इसके अलावा उनका मानना है कि जब भी आप विरोधी के सामने होते हैं, तब भावनाओं में बहने के बजाय धैर्य से काम करना चाहिए
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