चीतों के गले में क्यों लगी है यह कॉलर ID?

नामीबिया से भारत लाए गए 8 चीतों की ट्रैकिंग के लिए उनके गले में कॉलर आईडी लगाई गई है। 

Image Credit : अमर उजाला

कूनो नेशनल पार्क में एक महीने इन चीतों की कॉलर आईडी से निगरानी होगी और इसके बाद इन्हें मुख्य वन में छोड़ा जाएगा। 

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यह एक सैटेलाइट कॉलर आईडी है, जो चीतों की लोकेशन का पता लगाने में मदद करता है। 

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सैटेलाइट कॉलर आईडी से फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों को चीतों की लोकेशन और एक्टिविटी पर नजर रखने में आसानी होगी।

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सैटेलाइट कॉलर आईडी की मदद से घने जंगल में भी इन चीतों को खोजा जा सकेगा।
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लोकेशन और एक्टिविटी के साथ-साथ इस आईडी की मदद से चीतों की हेल्थ का भी अपडेट लिया जा सकेगा। इसे एनिमल माइग्रेशन ट्रैकिंग कहा जाता है। 
 

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सैटेलाइट कॉलर आईडी किसी GPS डिवाइस की तरह ही काम करता है जैसे स्मार्टफोन या कोई अन्य लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस।

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कॉलर आईडी में एक जीपीएस चिप लगी है, जो चीतों की स्थिति और उसकी सटीक लोकेशन को ट्रैक करेंगे।
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इस डिवाइस में हेल्थ से जुड़ी जानकारी ट्रैक करने के लिए भी कई सेंसर होते हैं, जो चीतों की हर एक हेल्थ अपडेट को ट्रैक करेंगे।

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