अमर उजाला
Mon, 25 September 2023
26 मार्च 1910 को बनाई गई सत्संग सभा ने 29 दिसंबर 1910 को अपना संविधान और बायलॉज तैयार किया था। जिसमें केवल दान में दी गई जमीनों और अधिग्रहण से मिली जमीनों के रखरखाव का उद्देश्य बताया गया था। जमीन अधिग्रहण के लिए सत्संग सभा ने 2 सितंबर 1942 को ब्रिटिश सरकार को अपने संविधान और बायलॉज की मूल प्रति भी दाखिल की थी।
राधास्वामी सत्संग सभा ने दयालबाग काॅलोनी की स्थापना 20 जनवरी 1915 को शहतूत का पौधा रोपकर की थी। यह 40 सदस्यीय सभा 1860 के एक्ट-21 के तहत रजिस्टर की गई थी। सभा का पूरा नाम ‘राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग, आगरा’ के नाम से दर्ज कराया गया है। जबकि अब जमीनों पर बोर्ड ‘राधा स्व आ मी सत्संग सभा’ के लगे हैं।
राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग 1910 में बनी थी। पहली बार आजाद भारत में 1949 में विद्युत नगर का रास्ता बंद करने के मामले में कलेक्ट्रेट में लोगों ने इनके खिलाफ प्रदर्शन किया था। उसके बाद लगातार प्रदर्शन, पथराव, गोलीबारी, मारपीट के मामले होते गए, पर प्रशासन एक बार भी कार्रवाई नहीं कर पाया।
पूर्व विधायक विजय सिंह राणा ने 1984 में आंदोलन की शुरूआत की, पर सत्संग सभा ने कब्जे नहीं हटाए। इसके बाद पहली बार 16 सितंबर को डीएम भानु चंद्र गोस्वामी के आदेश पर सत्संग सभा के छह गेट ध्वस्त किए गए।
राधास्वामी सत्संग सभा ने दयालबाग में काॅलोनी के बाद जमीनों का सिलसिला 1942 से शुरू किया। तत्कालीन अध्यक्ष पीबी जीडी मेहता, राय बहादुर की अध्यक्षता वाली सभा के सचिव बाबूराम जादौन ने ब्रिटिश सरकार से कुल 1967 बीघा जमीन मांगी थी।
इसमें मेडिकल काॅलेज, डेयरी फार्म, काॅलोनी का विस्तार, खेल मैदान, ईंट-भट्ठा आदि के लिए जमीनों के अधिग्रहण के प्रस्ताव दिए गए थे।
खासपुर, घटवासन, लखनपुर, जगनपुर मुस्तकिल, सिकंदरपुर, मनोहरपुर, नगला पदी, मऊ में जमीनों को लेकर विवाद तभी से शुरू हुए।
साल 1948 से 50 के बीच ग्रामीणों और राधास्वामी सत्संग सभा के बीच कई बार टकराव हुए और कलेक्ट्रेट पर सत्संग सभा के विरोध में प्रदर्शन, धरना भी चलते रहे। पहली बार सत्संग सभा के पदाधिकारियों पर प्रशासन एफआईआर करा पाया है।
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