पाकिस्तान में हाल में तैयार की गई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में शामिल एक पहलू को लेकर यहां कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। नीति दस्तावेज में शामिल मुख्य बिंदुओं को शुक्रवार को सार्वजनिक किया जाएगा। लेकिन उसके पहले अधिकारियों ने इसके बारे में पाकिस्तानी अखबारों को जानकारी दी। अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक नीति दस्तावेज में कहा गया है कि निकट पड़ोसियों के सात शांति कायम करना और आर्थिक कूटनीति पाकिस्तान की विदेश नीति का केंद्रीय बिंदु होगा। इसी सिलसिले में भारत का जिक्र आया है।
भारत से चाहते हैं व्यापार और कारोबारी रिश्ते
दस्तावेज के मुताबिक ‘कश्मीर विवाद’ का अंतिम समाधान निकले बिना भी पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार का दरवाजे खुला रखना चाहता है। लेकिन यह शर्त इसमें जरूर शामिल की गई है कि दोनों देशों के बीच बातचीत हो और उसमें प्रगति हो। एक अधिकारी ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से कहा- ‘हम भारत के साथ अगले 100 साल तक विरोध भाव कायम रखने की कोशिश में नहीं हैं। नई नीति निकट पड़ोसी देशों के साथ शांति की तलाश करने की है। अगर बातचीत में प्रगति हो, तो भारत के साथ व्यापार और कारोबारी रिश्तों को आगे बढ़ाना संभव है।’
पाकिस्तानी पर्यवेक्षकों का आकलन है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते इस समय अपने सबसे खराब दौर में हैं। अगस्त 2019 में भारत में जम्मू-कश्मीर से संबंधित धारा 370 को खत्म करने के बाद पाकिस्तान ने भारत से कूटनीतिक रिश्तों का दर्जा घटा दिया था। साथ ही दोतरफा व्यापार भी रोक दिया गया था। इस साल फरवरी में दोनों देशों के बीच सीमा पर सीजफायर पर सहमति बनी। उससे संबंधों में सुधार की आशा जगी थी। लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी।
विश्लेषकों के मुताबिक अब पाकिस्तान सरकार ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में अपने नजरिए को भू-रणनीति से हटा कर भू-आर्थिकी पर केंद्रित करने का फैसला किया है। अगर उसने सचमुच इस पर अमल किया, तो मुमकिन है कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव घटे। राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को पाकिस्तान सरकार की मंजूरी मिलने के बाद जारी सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया था- नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में केंद्रीय बिंदु आर्थिक सुरक्षा होगी।
विश्लेषकों को नहीं है उम्मीद
मीडिया ब्रीफिंग में पाकिस्तान के अधिकारियों ने इसी सोच की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि इस मकसद के अनुरूप अब आर्थिक कूटनीति और निकट पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। लेकिन ज्यादातर विश्लेषकों को उम्मीद नहीं है कि नीति दस्तावेज में ऐसी बातें लिख देने का मतलब पाकिस्तान के नजरिए में बुनियादी बदलाव आना है। इन विश्लेषकों के मुताबिक निकट भविष्य में भारत से पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की कोई संभावना नहीं है।
इस राय की पुष्टि मीडिया ब्रीफिंग में अधिकारियों की इस टिप्पणी से भी हुई कि भू-आर्थिकी पर ध्यान केंद्रित करने का यह मतलब नहीं है कि पाकिस्तान अपने भू-रणनीतिक या भू-राजनीतिक हितों की अनदेखी करेगा। पर्यवेक्षकों के मुताबिक हाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सरकार का जैसा दुराव भरा रुख रहा है, उसे देखते हुए अधिकारियों का यह स्पष्टीकरण महत्त्वपूर्ण है। इसका सीधा मतलब है कि जो इरादा नीति दस्तावेज में शामिल किया गया है, उसके जमीन पर उतारने की पाकिस्तान सरकार की कोई मंशा नहीं है।
विस्तार
पाकिस्तान में हाल में तैयार की गई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में शामिल एक पहलू को लेकर यहां कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। नीति दस्तावेज में शामिल मुख्य बिंदुओं को शुक्रवार को सार्वजनिक किया जाएगा। लेकिन उसके पहले अधिकारियों ने इसके बारे में पाकिस्तानी अखबारों को जानकारी दी। अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक नीति दस्तावेज में कहा गया है कि निकट पड़ोसियों के सात शांति कायम करना और आर्थिक कूटनीति पाकिस्तान की विदेश नीति का केंद्रीय बिंदु होगा। इसी सिलसिले में भारत का जिक्र आया है।
भारत से चाहते हैं व्यापार और कारोबारी रिश्ते
दस्तावेज के मुताबिक ‘कश्मीर विवाद’ का अंतिम समाधान निकले बिना भी पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार का दरवाजे खुला रखना चाहता है। लेकिन यह शर्त इसमें जरूर शामिल की गई है कि दोनों देशों के बीच बातचीत हो और उसमें प्रगति हो। एक अधिकारी ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से कहा- ‘हम भारत के साथ अगले 100 साल तक विरोध भाव कायम रखने की कोशिश में नहीं हैं। नई नीति निकट पड़ोसी देशों के साथ शांति की तलाश करने की है। अगर बातचीत में प्रगति हो, तो भारत के साथ व्यापार और कारोबारी रिश्तों को आगे बढ़ाना संभव है।’
पाकिस्तानी पर्यवेक्षकों का आकलन है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते इस समय अपने सबसे खराब दौर में हैं। अगस्त 2019 में भारत में जम्मू-कश्मीर से संबंधित धारा 370 को खत्म करने के बाद पाकिस्तान ने भारत से कूटनीतिक रिश्तों का दर्जा घटा दिया था। साथ ही दोतरफा व्यापार भी रोक दिया गया था। इस साल फरवरी में दोनों देशों के बीच सीमा पर सीजफायर पर सहमति बनी। उससे संबंधों में सुधार की आशा जगी थी। लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी।
विश्लेषकों के मुताबिक अब पाकिस्तान सरकार ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में अपने नजरिए को भू-रणनीति से हटा कर भू-आर्थिकी पर केंद्रित करने का फैसला किया है। अगर उसने सचमुच इस पर अमल किया, तो मुमकिन है कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव घटे। राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को पाकिस्तान सरकार की मंजूरी मिलने के बाद जारी सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया था- नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में केंद्रीय बिंदु आर्थिक सुरक्षा होगी।
विश्लेषकों को नहीं है उम्मीद
मीडिया ब्रीफिंग में पाकिस्तान के अधिकारियों ने इसी सोच की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि इस मकसद के अनुरूप अब आर्थिक कूटनीति और निकट पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। लेकिन ज्यादातर विश्लेषकों को उम्मीद नहीं है कि नीति दस्तावेज में ऐसी बातें लिख देने का मतलब पाकिस्तान के नजरिए में बुनियादी बदलाव आना है। इन विश्लेषकों के मुताबिक निकट भविष्य में भारत से पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की कोई संभावना नहीं है।
इस राय की पुष्टि मीडिया ब्रीफिंग में अधिकारियों की इस टिप्पणी से भी हुई कि भू-आर्थिकी पर ध्यान केंद्रित करने का यह मतलब नहीं है कि पाकिस्तान अपने भू-रणनीतिक या भू-राजनीतिक हितों की अनदेखी करेगा। पर्यवेक्षकों के मुताबिक हाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सरकार का जैसा दुराव भरा रुख रहा है, उसे देखते हुए अधिकारियों का यह स्पष्टीकरण महत्त्वपूर्ण है। इसका सीधा मतलब है कि जो इरादा नीति दस्तावेज में शामिल किया गया है, उसके जमीन पर उतारने की पाकिस्तान सरकार की कोई मंशा नहीं है।