डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर जो मेंचिन ने राष्ट्रपति जो बाइडन के तमाम उदारवादी एजेंडे पर एक तरह से विराम लगा दिया है। गुरुवार को उन्होंने दो टूक कह दिया कि वे सीनेट के फिलीबस्टर नियम को बदलने के बाइडन प्रशासन या डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रोग्रेसिव धड़े की कोशिशों का विरोध करेंगे। उन्होंने अखबार वांशिंगटन पोस्ट में लिखे एक लेख में साफ-साफ कहा- ‘मैं किसी परिस्थिति में फिलिबस्टर को कमजोर करने या उसे खत्म करने के पक्ष में मतदान नहीं करूंगा।’
सीनेट के नियम के मुताबिक अगर कोई सदस्य फिलिबस्टर लागू कर देता है, तो संबंधित प्रस्ताव को पारित करने के लिए 60 वोट अनिवार्य हो जाते हैं। फिलिबस्टर नियम से बचने का एक उपाय बजट रिकॉन्सिलिएशन नियम लागू करना होता है। इस नियम के तहत प्रस्ताव साधारण बहुमत से पास हो सकते हैँ। 100 सदस्यों वाले इस सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी दोनों के 50-50 सदस्य हैं। बाइडन प्रशासन ने पिछले दिनों अपना 1.9 ट्रिलियन डॉलर का कोरोना राहत पैकेज बजट रिकॉन्सिलिएशन नियम के तहत पारित कराया। तब उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के निर्णायक वोट से 51-50 के अंतर से वो प्रस्ताव पास हुआ था।
बाइडन प्रशासन की तमाम उम्मीदें फिलिबस्टर नियम में संशोधन से जुड़ी रही हैं। इसके बिना बाइडन प्रशासन ना तो हाल में घोषित दो ट्रिलियन डॉलर का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रस्ताव पास कराने की स्थिति में है, ना ही वह मताधिकार को विस्तृत करने या बंदूक के उपयोग को नियंत्रित करने से संबंधित प्रस्तावों को पास करा सकता है। कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाने की उसकी मंशा भी फिलिबस्टर नियम के रहते धरी की धरी रह जाएगी। मेंचिन के विरोध में मतदान करने का मतलब यह होगा कि फिलिबस्टर नियम बदलने के पक्ष में अधिकतम 49 वोट ही बचेंगे, जो साधारण बहुमत से कम हैं।
वर्जिनिया राज्य से सीनेटर मेंचिन ने अपने लेख में यह भी साफ कर दिया है कि वे बार-बार बजट रिकॉन्सिलिएशन नियम लागू करने के भी खिलाफ हैं। उन्होंने लिखा है कि जिन मुद्दों का सीधा संबंध बजट से नहीं है, उस पर ये नियम लागू नहीं होना चाहिए। मेंचिन ने राय जताई कि बाइडन का इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज, जिसे राष्ट्रपति ने अमेरिकन जॉब्स स्कीम के नाम से पेश किया है, बजट से संबंधित नहीं है। मेंचिन ने लिखा है- ‘हम सभी को इससे चिंतित होना चाहिए कि दोनों पार्टियां बजट रिकॉन्सिलिएशन का इस्तेमाल अपने देश के सामने मौजूद प्रमुख मुद्दों पर बहस का गला घोंटने के लिए कर रही हैं। मैं यह नहीं मानता कि बजट रिकॉन्सिलिएशन का इस्तेमाल सीनेट के सामान्य नियमों से बचने के लिए किया जाना चाहिए।’
रिपब्लिकन पार्टी के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज पर कोई सहमति बनने की राष्ट्रपति बाइडन की उम्मीद पहले ही टूट चुकी है। सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के नेता मिच मैकॉनेल कह चुके हैं कि वे इस पैकेज का पुरजोर विरोध करेंगे, क्योंकि उनकी राय में यह अमेरिका के लिए गलत नुस्खा है। किसी रिपब्लिकन सीनेटर ने यह संकेत नहीं दिया है कि वह बाइडन के इस प्रस्ताव का समर्थन करेगा। ऐसे में ये प्रस्ताव हकीकत बन पाएगा, इसकी संभावना बेहद कम हो गई है।
राष्ट्रपति बाइडन को इस प्रतिकूल स्थिति का अहसास है। बुधवार को उन्होंने कहा था कि उन्हें अपने पैकेज पर समझौता करना होगा, यह तय है। उन्होंने इस बारे में बहस का स्वागत करते हुए कहा कि अगर रिपब्लिकन पार्टी यह कहती है कि वह इस पैकेज को पूरी तरह रोक देगी, तो वे इससे सहमत नहीं हैं। अभी यह साफ नहीं है कि बाइडन अपने पैकेज पर किस हद तक समझौता करने को तैयार होंगे। वैसे मामला सिर्फ इस पैकेज का ही नहीं है। उनके एजेंडे के दूसरे मुद्दे भी फिलिबस्टर के रहते हकीकत नहीं बन पाएंगे। इसलिए विश्लेषकों ने यह पूछना शुरू कर दिया है कि क्या बाइडन का कार्यकाल सिर्फ अच्छे इरादे जताने का दौर बन कर रह जाएगा?
विस्तार
डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर जो मेंचिन ने राष्ट्रपति जो बाइडन के तमाम उदारवादी एजेंडे पर एक तरह से विराम लगा दिया है। गुरुवार को उन्होंने दो टूक कह दिया कि वे सीनेट के फिलीबस्टर नियम को बदलने के बाइडन प्रशासन या डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रोग्रेसिव धड़े की कोशिशों का विरोध करेंगे। उन्होंने अखबार वांशिंगटन पोस्ट में लिखे एक लेख में साफ-साफ कहा- ‘मैं किसी परिस्थिति में फिलिबस्टर को कमजोर करने या उसे खत्म करने के पक्ष में मतदान नहीं करूंगा।’
सीनेट के नियम के मुताबिक अगर कोई सदस्य फिलिबस्टर लागू कर देता है, तो संबंधित प्रस्ताव को पारित करने के लिए 60 वोट अनिवार्य हो जाते हैं। फिलिबस्टर नियम से बचने का एक उपाय बजट रिकॉन्सिलिएशन नियम लागू करना होता है। इस नियम के तहत प्रस्ताव साधारण बहुमत से पास हो सकते हैँ। 100 सदस्यों वाले इस सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी दोनों के 50-50 सदस्य हैं। बाइडन प्रशासन ने पिछले दिनों अपना 1.9 ट्रिलियन डॉलर का कोरोना राहत पैकेज बजट रिकॉन्सिलिएशन नियम के तहत पारित कराया। तब उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के निर्णायक वोट से 51-50 के अंतर से वो प्रस्ताव पास हुआ था।
बाइडन प्रशासन की तमाम उम्मीदें फिलिबस्टर नियम में संशोधन से जुड़ी रही हैं। इसके बिना बाइडन प्रशासन ना तो हाल में घोषित दो ट्रिलियन डॉलर का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रस्ताव पास कराने की स्थिति में है, ना ही वह मताधिकार को विस्तृत करने या बंदूक के उपयोग को नियंत्रित करने से संबंधित प्रस्तावों को पास करा सकता है। कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाने की उसकी मंशा भी फिलिबस्टर नियम के रहते धरी की धरी रह जाएगी। मेंचिन के विरोध में मतदान करने का मतलब यह होगा कि फिलिबस्टर नियम बदलने के पक्ष में अधिकतम 49 वोट ही बचेंगे, जो साधारण बहुमत से कम हैं।
वर्जिनिया राज्य से सीनेटर मेंचिन ने अपने लेख में यह भी साफ कर दिया है कि वे बार-बार बजट रिकॉन्सिलिएशन नियम लागू करने के भी खिलाफ हैं। उन्होंने लिखा है कि जिन मुद्दों का सीधा संबंध बजट से नहीं है, उस पर ये नियम लागू नहीं होना चाहिए। मेंचिन ने राय जताई कि बाइडन का इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज, जिसे राष्ट्रपति ने अमेरिकन जॉब्स स्कीम के नाम से पेश किया है, बजट से संबंधित नहीं है। मेंचिन ने लिखा है- ‘हम सभी को इससे चिंतित होना चाहिए कि दोनों पार्टियां बजट रिकॉन्सिलिएशन का इस्तेमाल अपने देश के सामने मौजूद प्रमुख मुद्दों पर बहस का गला घोंटने के लिए कर रही हैं। मैं यह नहीं मानता कि बजट रिकॉन्सिलिएशन का इस्तेमाल सीनेट के सामान्य नियमों से बचने के लिए किया जाना चाहिए।’
रिपब्लिकन पार्टी के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज पर कोई सहमति बनने की राष्ट्रपति बाइडन की उम्मीद पहले ही टूट चुकी है। सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के नेता मिच मैकॉनेल कह चुके हैं कि वे इस पैकेज का पुरजोर विरोध करेंगे, क्योंकि उनकी राय में यह अमेरिका के लिए गलत नुस्खा है। किसी रिपब्लिकन सीनेटर ने यह संकेत नहीं दिया है कि वह बाइडन के इस प्रस्ताव का समर्थन करेगा। ऐसे में ये प्रस्ताव हकीकत बन पाएगा, इसकी संभावना बेहद कम हो गई है।
राष्ट्रपति बाइडन को इस प्रतिकूल स्थिति का अहसास है। बुधवार को उन्होंने कहा था कि उन्हें अपने पैकेज पर समझौता करना होगा, यह तय है। उन्होंने इस बारे में बहस का स्वागत करते हुए कहा कि अगर रिपब्लिकन पार्टी यह कहती है कि वह इस पैकेज को पूरी तरह रोक देगी, तो वे इससे सहमत नहीं हैं। अभी यह साफ नहीं है कि बाइडन अपने पैकेज पर किस हद तक समझौता करने को तैयार होंगे। वैसे मामला सिर्फ इस पैकेज का ही नहीं है। उनके एजेंडे के दूसरे मुद्दे भी फिलिबस्टर के रहते हकीकत नहीं बन पाएंगे। इसलिए विश्लेषकों ने यह पूछना शुरू कर दिया है कि क्या बाइडन का कार्यकाल सिर्फ अच्छे इरादे जताने का दौर बन कर रह जाएगा?