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पाकिस्तान में न्यायपालिका और सरकार तकरार: संशोधन बिल पर बवाल, सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने दिया इस्तीफा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: राहुल कुमार
Updated Thu, 13 Nov 2025 10:22 PM IST
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पाकिस्तान
- फोटो : Adobestock
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पाकिस्तान में न्यायपालिका और सरकार के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। विवादास्पद 27वें सांवधिनाकि संशोधन का विरोध करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों जस्टिस मंसूर अली शाह और जस्टिस अथर मिनल्लाह ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संशोधन संविधान को कमजोर करता है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
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यह कदम राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के संशोधन को मंजूरी देने के कुछ घंटों बाद उठाया गया। इस संशोधन के तहत अब एक संघीय सांविधानिक न्यायालय बनाया जाएगा, जो संविधान से जुड़े मामलों की सुनवाई करेगा, जबकि मौजूदा सुप्रीम कोर्ट केवल नागरिक और आपराधिक मामलों तक सीमित रह जाएगा। अपने त्यागपत्र में जस्टिस शाह ने इस संशोधन को संविधान पर गंभीर हमला बताते हुए कहा कि इससे सुप्रीम कोर्ट खंडित और कार्यपालिका के अधीन हो गया है। उन्होंने लिखा, ऐसे सिस्टम में बने रहना संविधान के साथ विश्वासघात होगा।
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जस्टिस मिनल्लाह ने और तीखे शब्दों में लिखा, जिस संविधान की रक्षा की मैंने शपथ ली थी, वह अब नहीं रहा। जो बचा है, वह केवल एक परछाई है, जिसमें न उसकी आत्मा बची है, न जनता की आवाज। उन्होंने कहा कि हमारे वस्त्र (न्यायिक गाउन) सम्मान के प्रतीक हैं, लेकिन पाकिस्तान के इतिहास में अक्सर ये मौन और मिलीभगत के प्रतीक बन गए।
अब सेना प्रमुख की नियुक्ति में प्रधानमंत्री की सलाह अनिवार्य
इस संशोधन के साथ सरकार ने सेना प्रमुख और रक्षा बल प्रमुख की नियुक्ति में प्रधानमंत्री की सलाह को अनिवार्य कर दिया है। अब प्रधानमंत्री ही संघीय सांविधानिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए संस्तुति भेजेंगे। साथ ही, सरकार को सैन्य अधिकारियों को फील्ड मार्शल, एयर मार्शल या एडमिरल ऑफ द फ्लीट पद पर पदोन्नत करने का अधिकार भी मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान में न्यायपालिका और सेना के संतुलन को बदल सकता है तथा संविधान की मूल भावना पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रहा है।