बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने को इस्लाम के रक्षक के रूप में पेश करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। देश में तेजी से बढ़ी महंगाई के बीच इमरान खान की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इससे उनकी अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) में कलह बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। उधर विपक्ष ने दबाव बढ़ा दिया है।
पुतिन से की बात
इसके बीच इमरान खान लगातार विदेशों में मुस्लिम समुदाय के लोगों पर कथित ज्यादती के मुद्दे उठाने में जुटे हुए हैं। अपनी इसी कोशिश में उन्होंने सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की और पैंगबर मोहम्मद के अपमान के खिलाफ दिए उनके बयान के लिए आभार जताया। पुतिन ने जब ये बात कही थी, तब भी इमरान खान ने ट्विट कर इसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया था।
पुतिन ने पिछले महीने कहा था कि पैंगबर मोहम्मद का अपमान करना कलात्मक स्वतंत्रता नहीं है। बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। पुतिन ने तब दिए अपने भाषण में फ्रांस की पत्रिका शार्ली हेब्दो की कड़ी आलोचना की थी। इस पत्रिका में पैगंबर मोहम्मद का ‘अपमान’ करने वाले कार्टून प्रकाशित किए गए थे। पुतिन ने कहा था कि ऐसे प्रकाशन या बयान चरमपंथी प्रतिक्रियाओं को भड़काते हैं। उन्होंने कहा- कलात्मक स्वतंत्रता की सीमाएं हैं। इस स्वतंत्रता को दूसरी स्वतंत्रताओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
पुतिन से अपनी बातचीत की जानकारी खुद इमरान खान ने एक ट्विट के जरिए थी। इसमें उन्होंने कहा- ‘मैंने राष्ट्रपति पुतिन से बात प्रमुख रूप से पैगंबर मोहम्मद के बारे में उनके भाषण की तारीफ करने के लिए की। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे पवित्र पैगंबर का अपमान करने का बहाना नहीं हो सकती।’ इमरान खान ने कहा कि पुतिन ऐसे पहले पश्चिमी नेता हैं, जिन्होंने मुस्लिम भावनाओं के प्रति हमदर्दी और संवेदनशीलता दिखाई है।
राजनीतिक फायदों के लिए उठा रहे मजहबी मुद्दे
बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के कार्यालय ने एक बयान जारी कर राष्ट्रपति पुतिन और इमरान खान के बीच फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा दिया। इस बयान में मुख्य जोर यह बताने पर रहा कि इमरान खान बढ़ते इस्लामोफोबिया (इस्लाम के भय) की तरफ लगातार ध्यान खींचते रहे हैं। इसका उल्लेख भी किया गया कि इस्लामोफोबिया का मुद्दा इमरान खान ने बीते सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान भी उठाया था। तब खान ने चेतावनी दी थी कि ऐसी प्रवृत्तियों के खतरनाक नतीजे होंगे।
पुतिन और इमरान खान के बीच दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जिसमें अफगानिस्तान की स्थिति प्रमुख थी। दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि अफगानिस्तान में मानवीय त्रासदी जैसी हालत बन गई है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगान लोगों की मदद करने की साझा अपील भी की है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इमरान खान मजहबी मुद्दों को पहले भी अपनी सियासत को चमकाने के लिए उठाते रहे हैं। अब जबकि अगले साल उन्हें आम चुनाव का सामना करना है, वे देश के मुस्लिम आवाम के सामने मजहब के रक्षक की अपनी भूमिका पेश करने में जुट गए हैं।
विस्तार
बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने को इस्लाम के रक्षक के रूप में पेश करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। देश में तेजी से बढ़ी महंगाई के बीच इमरान खान की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इससे उनकी अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) में कलह बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। उधर विपक्ष ने दबाव बढ़ा दिया है।
पुतिन से की बात
इसके बीच इमरान खान लगातार विदेशों में मुस्लिम समुदाय के लोगों पर कथित ज्यादती के मुद्दे उठाने में जुटे हुए हैं। अपनी इसी कोशिश में उन्होंने सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की और पैंगबर मोहम्मद के अपमान के खिलाफ दिए उनके बयान के लिए आभार जताया। पुतिन ने जब ये बात कही थी, तब भी इमरान खान ने ट्विट कर इसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया था।
पुतिन ने पिछले महीने कहा था कि पैंगबर मोहम्मद का अपमान करना कलात्मक स्वतंत्रता नहीं है। बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। पुतिन ने तब दिए अपने भाषण में फ्रांस की पत्रिका शार्ली हेब्दो की कड़ी आलोचना की थी। इस पत्रिका में पैगंबर मोहम्मद का ‘अपमान’ करने वाले कार्टून प्रकाशित किए गए थे। पुतिन ने कहा था कि ऐसे प्रकाशन या बयान चरमपंथी प्रतिक्रियाओं को भड़काते हैं। उन्होंने कहा- कलात्मक स्वतंत्रता की सीमाएं हैं। इस स्वतंत्रता को दूसरी स्वतंत्रताओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
पुतिन से अपनी बातचीत की जानकारी खुद इमरान खान ने एक ट्विट के जरिए थी। इसमें उन्होंने कहा- ‘मैंने राष्ट्रपति पुतिन से बात प्रमुख रूप से पैगंबर मोहम्मद के बारे में उनके भाषण की तारीफ करने के लिए की। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे पवित्र पैगंबर का अपमान करने का बहाना नहीं हो सकती।’ इमरान खान ने कहा कि पुतिन ऐसे पहले पश्चिमी नेता हैं, जिन्होंने मुस्लिम भावनाओं के प्रति हमदर्दी और संवेदनशीलता दिखाई है।
राजनीतिक फायदों के लिए उठा रहे मजहबी मुद्दे
बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के कार्यालय ने एक बयान जारी कर राष्ट्रपति पुतिन और इमरान खान के बीच फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा दिया। इस बयान में मुख्य जोर यह बताने पर रहा कि इमरान खान बढ़ते इस्लामोफोबिया (इस्लाम के भय) की तरफ लगातार ध्यान खींचते रहे हैं। इसका उल्लेख भी किया गया कि इस्लामोफोबिया का मुद्दा इमरान खान ने बीते सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान भी उठाया था। तब खान ने चेतावनी दी थी कि ऐसी प्रवृत्तियों के खतरनाक नतीजे होंगे।
पुतिन और इमरान खान के बीच दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जिसमें अफगानिस्तान की स्थिति प्रमुख थी। दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि अफगानिस्तान में मानवीय त्रासदी जैसी हालत बन गई है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगान लोगों की मदद करने की साझा अपील भी की है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इमरान खान मजहबी मुद्दों को पहले भी अपनी सियासत को चमकाने के लिए उठाते रहे हैं। अब जबकि अगले साल उन्हें आम चुनाव का सामना करना है, वे देश के मुस्लिम आवाम के सामने मजहब के रक्षक की अपनी भूमिका पेश करने में जुट गए हैं।