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SIPRI: विश्व की शीर्ष-100 हथियार कंपनियों में भारत की तीन, हथियारों से आय में वृद्धि
एजेंसी
Published by: लव गौर
Updated Tue, 02 Dec 2025 05:26 AM IST
सार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की जारी रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से यूक्रेन और गाजा युद्ध तथा कई देशों द्वारा सैन्य बजट बढ़ाने की वजह से हुई। यूक्रेन, गाजा जैसे देशों में युद्ध के साथ सैन्य खर्च की मांग भी बढ़ी। शीर्ष-100 हथियार निर्माताओं की सूची में 3 भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं।
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5.9 फीसदी बढ़ी दुनिया में हथियारों की मांग से होने वाली आय
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
दुनिया की हथियार तैयार करने वाली कंपनियों की आय गत वर्ष 5.9% बढ़कर 679 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से यूक्रेन और गाजा युद्ध तथा कई देशों द्वारा सैन्य बजट बढ़ाने की वजह से हुई। यूक्रेन, गाजा जैसे देशों में युद्ध के साथ सैन्य खर्च की मांग भी बढ़ी। शीर्ष-100 हथियार निर्माताओं की सूची में 3 भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के मुताबिक, इस सूची में शामिल तीन भारतीय कंपनियों का साझा हथियार राजस्व घरेलू ऑर्डरों के बल पर 8.2% बढ़कर 7.5 अरब डॉलर हो गया। इन भारतीय कंपनियों में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को 44वां स्थान मिला जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को 58वां औप मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को 91वां स्थान मिला।
शीर्ष-100 सबसे बड़े हथियार निर्माताओं का राजस्व 679 अरब डॉलर हो गया, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसका बड़ा हिस्सा यूरोपीय, अमेरिकी कंपनियों के कारण था। अमेरिका की 30 कंपनियां इसमें शामिल हैं। इनमें लॉकहीड मार्टिन, नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन व जनरल डायनेमिक्स शामिल हैं। उनका साझा राजस्व 3.8% बढ़कर 334 अरब डॉलर हो गया।
यूरोप की 23 कंपनियों का राजस्व बढ़ा
हाथियारों की विश्व व्यापी वृद्धि के बीच सिपरी ने कहा कि एफ-35 लड़ाकू जेट सहित प्रमुख अमेरिकी नेतृत्व वाले कार्यक्रमों में व्यापक देरी और बजट में वृद्धि के कारण विकास और उत्पादन में बाधा आ रही है। रूस को छोड़कर, यूरोप की 26 कंपनियों में से 23 ने अपने हथियार राजस्व में वृद्धि देखी क्योंकि महाद्वीप ने खर्च बढ़ाया। यूक्रेन में युद्ध और रूस से कथित खतरे से जुड़ी मांग के कारण उनकी कुल आय 13% बढ़कर 151 अरब डॉलर हो गई। स्वीडन स्थित वैश्विक थिंक टैंक सिपरी ने एक वेबलिंक भी साझा किया, जिसमें 2024 में दुनिया की शीर्ष-100 हथियार उत्पादक और सैन्य साजो सामान बनाने वाली कंपनियों की सूची है।
कच्चे माल की सामग्री पाना बन सकता है बड़ी चुनौती
चेक गणराज्य के चेकोस्लोवाक समूह को उल्लेखनीय रूप से बड़ी वृद्धि हुई। इसका राजस्व यूक्रेन के लिए तोपखाने के गोले प्राप्त करने की सरकार द्वारा संचालित परियोजना के कारण 193% बढ़ा और यूक्रेन की जेएससी यूक्रेनी रक्षा उद्योग को 41% का लाभ हुआ। यूरोपीय कंपनियां बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नई उत्पादन क्षमता में निवेश कर रही हैं, लेकिन सिपरी के शोधकर्ता जेड गुइबर्टो रिकार्ड ने चेताया कि कच्चे माल की सामग्री पाना बड़ी चुनौती बन सकता है।
रूस, इस्राइल, पश्चिम एशिया में भी उछाल
पश्चिम एशिया में भी हथियार बिक्री बढ़ी। इस्राइल की तीन कंपनियों की आय 16% बढ़कर 16.2 अरब डॉलर हो गई। सिपरी ने कहा कि गाजा संघर्ष के बावजूद इस्राइली हथियारों की मांग में कोई कमी नहीं आई। एशिया-ओशिनिया की कंपनियों की कुल आय 1.2% घटकर 130 अरब डॉलर रह गई। इसमें सबसे बड़ा योगदान चीन की आठ कंपनियों की आय में 10% गिरावट का रहा। हथियार खरीद में बड़े भ्रष्टाचार मामलों के बाद कई अनुबंध रद्द या टाले गए।
रूस बढ़ा, लेकिन उपकरणों में कमी
सिपरी ने कहा, चीन के निर्यात प्रतिबंधों के मद्देनजर महत्वपूर्ण खनिजों के लिए आपूर्ति शृंखलाओं का पुनर्गठन एक संभावित जटिलता हो सकती है। सिपरी की सूची में शामिल दो रूसी कंपनियों, रोस्टेक और यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन, का हथियार राजस्व 23% बढ़कर 31.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि प्रतिबंधों के कारण उपकरणों की कमी हो गई थी। सिपरी ने कहा, घरेलू मांग हथियारों के निर्यात में गिरावट की भरपाई के लिए पर्याप्त से अधिक है।
ये भी पढ़ें: China: अमेरिका, ब्रिटेन समेत 15 देशों का चीन पर मानवाधिकार हनन का आरोप, रिपोर्ट पर जताई गहरी चिंता
चीन की हथियार कंपनी की आमदनी में भारी गिरावट दर्ज
चीन की हथियार कंपनी की आमदनी में भारी गिरावट दर्ज की गई है। गत वर्ष दुनिया भर में हथियारों की बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि के बावजूद हथियार उद्योग की शीर्ष-100 सूची में चीन की 8 कंपनियों की कुल आमदनी गिरी है। इन चीनी कंपनियों की कुल कमाई 10% घटकर 88.3 अरब डॉलर रह गई। चीन के हथियार निर्माताओं का प्रदर्शन जापान-दक्षिण कोरियाई कंपनियों के उलट रहा। चीनी कंपनी नॉरिंको को सर्वाधिक नुकसान हुआ, जिसकी हथियार बिक्री 2023 के 20.31 अरब डॉलर से घटकर गत वर्ष 13.97 अरब डॉलर रह गई। यानी करीब 31% की गिरावट दर्ज की गई है। कंपनी की वैश्विक रैंकिंग भी 10वें स्थान से गिरकर 11वें नंबर पर आ गई है।
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स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के मुताबिक, इस सूची में शामिल तीन भारतीय कंपनियों का साझा हथियार राजस्व घरेलू ऑर्डरों के बल पर 8.2% बढ़कर 7.5 अरब डॉलर हो गया। इन भारतीय कंपनियों में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को 44वां स्थान मिला जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को 58वां औप मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को 91वां स्थान मिला।
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शीर्ष-100 सबसे बड़े हथियार निर्माताओं का राजस्व 679 अरब डॉलर हो गया, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसका बड़ा हिस्सा यूरोपीय, अमेरिकी कंपनियों के कारण था। अमेरिका की 30 कंपनियां इसमें शामिल हैं। इनमें लॉकहीड मार्टिन, नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन व जनरल डायनेमिक्स शामिल हैं। उनका साझा राजस्व 3.8% बढ़कर 334 अरब डॉलर हो गया।
यूरोप की 23 कंपनियों का राजस्व बढ़ा
हाथियारों की विश्व व्यापी वृद्धि के बीच सिपरी ने कहा कि एफ-35 लड़ाकू जेट सहित प्रमुख अमेरिकी नेतृत्व वाले कार्यक्रमों में व्यापक देरी और बजट में वृद्धि के कारण विकास और उत्पादन में बाधा आ रही है। रूस को छोड़कर, यूरोप की 26 कंपनियों में से 23 ने अपने हथियार राजस्व में वृद्धि देखी क्योंकि महाद्वीप ने खर्च बढ़ाया। यूक्रेन में युद्ध और रूस से कथित खतरे से जुड़ी मांग के कारण उनकी कुल आय 13% बढ़कर 151 अरब डॉलर हो गई। स्वीडन स्थित वैश्विक थिंक टैंक सिपरी ने एक वेबलिंक भी साझा किया, जिसमें 2024 में दुनिया की शीर्ष-100 हथियार उत्पादक और सैन्य साजो सामान बनाने वाली कंपनियों की सूची है।
कच्चे माल की सामग्री पाना बन सकता है बड़ी चुनौती
चेक गणराज्य के चेकोस्लोवाक समूह को उल्लेखनीय रूप से बड़ी वृद्धि हुई। इसका राजस्व यूक्रेन के लिए तोपखाने के गोले प्राप्त करने की सरकार द्वारा संचालित परियोजना के कारण 193% बढ़ा और यूक्रेन की जेएससी यूक्रेनी रक्षा उद्योग को 41% का लाभ हुआ। यूरोपीय कंपनियां बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नई उत्पादन क्षमता में निवेश कर रही हैं, लेकिन सिपरी के शोधकर्ता जेड गुइबर्टो रिकार्ड ने चेताया कि कच्चे माल की सामग्री पाना बड़ी चुनौती बन सकता है।
रूस, इस्राइल, पश्चिम एशिया में भी उछाल
पश्चिम एशिया में भी हथियार बिक्री बढ़ी। इस्राइल की तीन कंपनियों की आय 16% बढ़कर 16.2 अरब डॉलर हो गई। सिपरी ने कहा कि गाजा संघर्ष के बावजूद इस्राइली हथियारों की मांग में कोई कमी नहीं आई। एशिया-ओशिनिया की कंपनियों की कुल आय 1.2% घटकर 130 अरब डॉलर रह गई। इसमें सबसे बड़ा योगदान चीन की आठ कंपनियों की आय में 10% गिरावट का रहा। हथियार खरीद में बड़े भ्रष्टाचार मामलों के बाद कई अनुबंध रद्द या टाले गए।
रूस बढ़ा, लेकिन उपकरणों में कमी
सिपरी ने कहा, चीन के निर्यात प्रतिबंधों के मद्देनजर महत्वपूर्ण खनिजों के लिए आपूर्ति शृंखलाओं का पुनर्गठन एक संभावित जटिलता हो सकती है। सिपरी की सूची में शामिल दो रूसी कंपनियों, रोस्टेक और यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन, का हथियार राजस्व 23% बढ़कर 31.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि प्रतिबंधों के कारण उपकरणों की कमी हो गई थी। सिपरी ने कहा, घरेलू मांग हथियारों के निर्यात में गिरावट की भरपाई के लिए पर्याप्त से अधिक है।
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चीन की हथियार कंपनी की आमदनी में भारी गिरावट दर्ज
चीन की हथियार कंपनी की आमदनी में भारी गिरावट दर्ज की गई है। गत वर्ष दुनिया भर में हथियारों की बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि के बावजूद हथियार उद्योग की शीर्ष-100 सूची में चीन की 8 कंपनियों की कुल आमदनी गिरी है। इन चीनी कंपनियों की कुल कमाई 10% घटकर 88.3 अरब डॉलर रह गई। चीन के हथियार निर्माताओं का प्रदर्शन जापान-दक्षिण कोरियाई कंपनियों के उलट रहा। चीनी कंपनी नॉरिंको को सर्वाधिक नुकसान हुआ, जिसकी हथियार बिक्री 2023 के 20.31 अरब डॉलर से घटकर गत वर्ष 13.97 अरब डॉलर रह गई। यानी करीब 31% की गिरावट दर्ज की गई है। कंपनी की वैश्विक रैंकिंग भी 10वें स्थान से गिरकर 11वें नंबर पर आ गई है।