अब थमेगा रूस-यूक्रेन युद्ध?: जेलेंस्की का दावा- बदलाव के साथ बेहतर दिख रही ट्रंप की शांति योजना, लेकिन...
तीन साल से अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए कूटनीतिक कोशिशें तेज हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया कि अमेरिका द्वारा तैयार ट्रंप प्रशासन की पुरानी शांति योजना में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं और यह अब पहले से बेहतर दिख रही है। उनके मुताबिक संशोधित प्रस्ताव पर काम जारी रहेगा ताकि संघर्ष समाप्त करने का व्यवहारिक समाधान निकल सके।
विस्तार
तीन साल से ज्यादा समय से चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष में अब चारों तरफ से शांति स्थापित करने की कोशिश का जा रही है। इसी बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ट्रंप की शांति योजना को लेकर अहम बातें कही। जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका द्वारा तैयार की गई ट्रंप प्रशासन की पुरानी शांति योजना में बदलाव किए जा रहे हैं और अब वह पहले से बेहतर दिख रही है। उन्होंने बताया कि इस योजना पर काम आगे भी जारी रहेगा ताकि लंबे समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का रास्ता निकाला जा सके।
बता दें कि जेलेंस्की ने ये बात सोमवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात के बाद कही। दोनों नेताओं की बातचीत का मकसद था, एक संभावित युद्धविराम के लिए शर्तें तय करना। इस बात पर मैक्रों ने कहा कि बातचीत अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन यह भविष्य के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।
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अमेरिका- रूस बैकडोर बातचीत पर सवाल
उधर, क्रेमलिन ने पुष्टि की कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन मंगलवार को अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मिलेंगे। विटकॉफ पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने पुतिन के सलाहकार को यह सलाह दी कि ट्रंप के सामने शांति योजना कैसे रखी जाए। रविवार को यूक्रेन व अमेरिका की एक बैठक भी हुई थी, जिसे अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उपयोगी बताया।
ट्रंप की पुरानी योजना विवादों में
हालांकि दूसरी ओर ट्रंप प्रशासन की पुरानी 28-बिंदुओं वाली योजना पर कई आलोचनाएं हुई थीं। कारण है कि उसमें यूक्रेन की सेना का आकार सीमित करने, नाटो में शामिल होने से रोकने और यूक्रेन को कुछ क्षेत्र छोड़ने जैसे प्रस्ताव थे। ऐसे में अब ट्रंप इसे सिर्फ एक कॉन्सेप्ट बता रहे हैं, जिसे आगे सुधारा जाएगा।
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यूरोप की भूमिका अहम, समझिए कैसे?
गौरतलब है कि इस संघर्ष को खत्म करने की कोशिशों में यूरोप की भूमिका अहम मानी जा रही है। इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि किसी भी शांति योजना में यूरोपीय देशों की भागीदारी जरूरी है। फ्रांस के अलावा जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, पोलैंड, नॉर्वे, डेनमार्क, फिनलैंड, नीदरलैंड और ईयू के बड़े नेता भी इस चर्चा में शामिल हुए। ईयू की विदेश नीति प्रमुख काया कल्लास ने चिंता जताई कि इससे यूक्रेन पर अनावश्यक दबाव डाला जा सकता है।
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