जात मज़हब की आड़ में धोखा किए बैठे हैं
कुछ लोग अपने ज़मीर का सौदा किए बैठे हैं
कब कहां किससे क्या कहा इन्हे याद नहीं रहता
और आप इनकी बातों पे भरोसा किए बैठे हैं
राहें मोहब्बत में हमने खाई हैं इतनी ठोकरें
अब मोहब्बत के नाम से हम तौबा किए बैठे हैं
आज कुछ पुराना खो दिया कल कुछ नया पाओगे
आप तो ख्वामखां ही दिल को छोटा किए बैठे हैं
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4 वर्ष पहले
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