तुम अपने सामने की भीड़ से हो कर गुज़र जाओ
कि आगे वाले तो हरगिज़ न तुम को रास्ता देंगे
कोई पूछेगा जिस दिन वाक़ई ये ज़िंदगी क्या है
ज़मीं से एक मुट्ठी ख़ाक ले कर हम उड़ा देंगे ...और पढ़ें
सिराज की शायरी और ग़ज़लों में विषय चाहे जो हों लेकिन ताजापन बना रहता है, इससे उनके रचनात्मक अनुभव और दूरदर्शिता का पता चलता है। सिराज जीवन को अलग नजरिए से देखते हैं। आज हम पाठकों के लिए पेश कर रहे हैं सिराज लखनवी के 20 चुनिंदा शेर-
मैं...और पढ़ें
वाणी प्रकाशन से प्रकाशित किताब 'दाग़ देहलवी: ग़ज़ल का एक स्कूल' में निदा फाज़ली लिखते हैं- "दाग़ का बुढ़ापा, आर्थिक संपन्नता होते हुए भी बेसुकून गुज़रा, बीवी के देहांत ने उनके अकेलेपन को ज़्यादा गहरा कर दिया था, जिसे बहलाने के लिए वह एक साथ क...और पढ़ें
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
- बशीर बद्र ...और पढ़ें
उसकी आँखों में भी काजल फैल रहा है
मैं भी मुड़के जाते-जाते देख रहा हूँ
ये सच है बेकार हमें ग़म होता है
जो चाहा था दुनिया में कम होता है...और पढ़ें
मुँह फेर लिया सब ने बीमार को जब देखा
देखा नहीं जाता वो तुम जिस की तरफ़ देखो
तुम थे और हम थे चाँद निकला था
हाए वो रात याद आती है ...और पढ़ें
दो घड़ी दर्द ने आँखों में भी रहने न दिया
हम तो समझे थे बनेंगे ये सहारे आँसू
...और पढ़ें
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को
मैं हूँ तेरा तू नसीब अपना बना ले मुझ को ...और पढ़ें
रुहानियत ने चुना ग़ालिब को, दर्द मीर का हो गया और शोख शरारतें बोलीं, हम दाग़ पर फिदां हैं नवाब मिर्जा खां दाग़ के बारे में ये कच्चा और अनगढ़ शेर मेरा है और इसे मैंने पूरे हक से लिखा है। हक इस तरह कि दाग़, मीर और ग़ालिब की तरह मेरा बचपन भी चा...और पढ़ें
मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है
वो इसी शहर की गलियों में कहीं रहता है
वो मिरे दिल की परेशानी से अफ़्सुर्दा हो क्यूँ
दिल का क्या है कल को फिर अच्छा भला हो जाएगा ...और पढ़ें