इतना हम घबरा गए ख़ुद से
भागे तो टकरा गए ख़ुद से
मौत तो सादा ही रक्खी थी
रोने वाले आ गए ख़ुद से
अपना साथ तो और कठिन था
दो दिन में उक्ता गए ख़ुद से
तुम दुनिया से यारी रखना
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मुझे वह समय याद है -
जब धूप का एक टुकड़ा सूरज की उंगली थाम कर
अंधेरे का मेला देखता उस भीड़ में खो गया।
सोचती हूँ: सहम और सूनेपन का एक नाता है
मैं इसकी कुछ नहीं लगती
पर इस छोटे बच्चे ने मेरा हाथ थाम...और पढ़ें
हिंदी हैं हम शब्द-शृंखला में आज का शब्द है - धरणी जिसका अर्थ है - 1. धरती 2. सेमल 3. नाड़ी। कवि सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है।
जय जय भारत, जय आभा रत
जय जन राष्ट्र विधाता!
गौरव भाल हिमाचल उज...और पढ़ें