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है प्रकृति आडंबर से दूर

                
                                                         
                            होता है सरल व्यक्ति
                                                                 
                            
कोसों दूर आडंबर से
लेकिन लोग समझते उसे
निरा मूर्ख
क्योंकि मानना है लोगों का
कि कुछ बनावटीपन भी
है ज़रूरी
जीने के लिए
इस संसार में
अब कोई समझाए कैसे
किसी को
कि प्रकृति भी करती है
विश्वास
सरलता में
होती नहीं कोई भी शै
प्रकृति की बनावटी
या आडंबरयुक्त
है बिडंवना यह
कि इंसान करता है
छेड़छाड़
प्रकृति से
मगर सीखता नहीं
कुछ भी वह प्रकृति से
दिखाती है प्रकृति
समय के साथ
अपना रूप और रंग
नहीं होता असमय
कुछ भी
प्रकृति में
इसलिए चाहिए
इंसान को भी
चलना समय के साथ
और प्रकृति के संग-संग
मिलाते हुआ कदम ताल
नहीं चाहिए पालना
किसी को भी
आडंबर रूपी
जी का जंजाल।
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2 दिन पहले

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