आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

जी लो यारों

                
                                                         
                            जिंदगी की खुशियों को जी भर कर जी लो
                                                                 
                            
सफर कम है या ज्यादा पता नहीं है यारों ,
समेट लो इसे अपने इर्द गिर्द
कब काम आयेंगे पता नहीं है यारों |
जब चले थे शुरुआत में तब साथ कोई और था
अभी हैं दूजे! कल होगा कौन ?
पता नहीं है यारों ,
कदम थक जाएंगे तब याद आएगी ये पल
साथ तब होगा कौन ? खबर नहीं है यारों |
पल बीत चले , कितने मिट गए !
छोड़ गए इस जहां को ,
कितनी हसरतें होगी दिल में
बता नहीं सके जाने वाले
देख कर ये शमां चारों तरफ
दिल से नफरतें थूक दो यारों |
 
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
एक घंटा पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर