आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

आज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा... एक आशिक़ की पुकार

Aaj din chadheya song
                
                                                         
                            

90 के दशक के बाद से बमुश्किल ही किसी फ़िल्मी संगीत और उसके बोलों से कोई गंभीर संबंध जुड़ पाया है। इस दौर में एक ऐसा गाना जिसमें शांत और श्रृंगार रस प्रचुर मात्रा में हो और जिसके बोल अलंकारित हों, वह कानों के लिए कुछ ऐसा दुर्लभ हो गया जैसे पिंजड़े में बंद पंक्षी के लिए आज़ादी।

इसी तरह रूह को उन्मुक्त करने के लिए कुछ ही गाने थे जो कर्णेन्द्रियों के आगे का सफ़र कर पाए। आज अगर काग़ज़ कलम लेकर कुछ चुनिंदा गानों के नाम लिखूंगी जो दिल को छू पाए तो उनमें से जिस गाने पर विशेष रूप से नज़र ठहर जाएगी वो है, सन् 2009 में आयी फ़िल्म ‘लव आजकल’ का ‘आज दिन चढे़या’। यह गाना अपने आप में उन सभी खूबियों को समेटे हुए है जो मन-सागर में उठने वाली सभी ज्वाराभाटाओं को मौन कर देता है और इसलिए यह मेरे अजीज़ नग़्मों में से एक है।

आगे पढ़ें

आज दिन चढ़ेया, तेरे रंग वरगा...

एक वर्ष पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर