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सोशल मीडिया: लिफ़ाफ़ों का दुःख चिठ्ठियों के दुःख से कभी कम नहीं रहा

सोशल मीडिया: लिफाफों का दुःख चिठ्ठियों के दुःख से कभी कम नहीं रहा
                
                                                         
                            लिफ़ाफ़ों का दुःख
                                                                 
                            
चिठ्ठियों के दुःख से कभी कम नहीं रहा 
डाकिए दो दुःखों के बीच पुल बनाते रहे सदा
और गांव की सरहद पर बैठा देवता 
एक हज़ार साल पहले किसी के प्रेम में फांसी पर लटक गया था

मेरे पास तुम्हारी दो ही चीजें थीं 
एक तुम्हारी स्मृति 
और दूसरी तुम्हारी स्मृति की स्मृति 
याद और याद की याद  आगे पढ़ें

3 वर्ष पहले

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