अजीब जुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ पर
सो जाऊं तो उठा देती हैं जाग जाऊँ तो रुला देती है
खतम हो गई कहानी, बस कुछ अल्फ़ाज़ बाकी हैं
एक अधूरे इश्क़ की एक मुकम्मल सी याद बाकी है
कोई उम्मीद नहीं थी हमें उनसे मुहब्बत की
एक ज़िद थी कि दिल टूटे तो सिर्फ उनके हाथ से टूटे
ये इश्क़ जिसके कहर से डरता है जमाना
कमबख़्त मेरे सब्र के टुकड़ों पर पला है
काश... एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर
वो आकर गले लगा ले, मेरी इजाजत के बगैर
तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी
एक हम हैं कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे
साँसों का टूट जाना तो बहुत छोटी सी बात है दोस्तों,
जब अपने याद करना छोड़ दे, मौत तो उसे कहते हैं !!
डरता हूं कहने से कि मोहब्बत है तुम से,
कि मेरी जिंदगी बदल देगा तेरा इकरार भी और इनकार भी
रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए,
अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुए
हमें तो प्यार के दो लफ़्ज भी नसीब नहीं,
और बदनाम ऐसे हैं जैसे इश्क़ के बादशाह थे हम
जब भी वो उदास हो उसे मेरी कहानी सुना देना
मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत है
यादें उनकी ही आती है, जिनसे कोई ताल्लुक हो
हर शख़्स मोहब्बत की, नज़र से देखा नहीं जाता !
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3 वर्ष पहले
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