आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

पुस्तक समीक्षा: 'मनोज सिन्हा – सेवा, समर्पण और सुशासन का प्रतीक'

a book on manoj sinha by mahant rohit shastri review in hindi
                
                                                         
                            

'मनोज सिन्हा – सेवा, समर्पण और सुशासन का प्रतीक' एक ऐसी प्रेरणास्पद एवं शोधपरक कृति है, जो माननीय मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के वर्तमान उपराज्यपाल के व्यक्तित्व, कर्तत्व और उनकी प्रशासनिक दक्षता का समग्र परिचय देती है। यह पुस्तक एक श्रद्धांजलि स्वरूप संकलन है, जिसमें उनके सार्वजनिक जीवन, नीतिगत निर्णयों, दूरदर्शी दृष्टिकोण तथा जनता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को भावनात्मक, तथ्यों से युक्त एवं विश्लेषणात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।

इस ग्रंथ के लेखक महंत रोहित शास्त्री, न केवल एक विद्वान ज्योतिषाचार्य हैं, अपितु जनकल्याण के प्रति समर्पित एक कर्मयोगी भी हैं। उन्होंने इस पुस्तक को प्रेरणादायक मार्गदर्शिका के रूप में लिखा है, जो शासन-प्रशासन के इच्छुक युवाओं एवं जनसेवा के क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिए एक अमूल्य धरोहर बन सकती है।

मनोज सिन्हा की प्रेरणादायक यात्रा: साधारण से असाधारण तक

पुस्तक की शुरुआत मनोज सिन्हा के प्रारंभिक जीवन से होती है – एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर उन्होंने कैसे नैतिक मूल्यों, संस्कारों और दृढ़ संकल्प के सहारे अपना जीवन गढ़ा, यह लेखक ने अत्यंत मार्मिकता और तथ्यात्मक शैली में वर्णित किया है। उनकी शिक्षा, विशेषकर तकनीकी पृष्ठभूमि और बीएचयू से जुड़ा उनका छात्र जीवन, उनके चिंतनशील व्यक्तित्व की नींव रही है।

इसके बाद उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत, एक सांसद के रूप में जनता के मुद्दों को उठाना, विकास के प्रति उनकी दृष्टि और फिर केन्द्रीय मंत्री के रूप में देशभर में आधारभूत संरचना एवं दूरसंचार क्षेत्र में किए गए नवाचार, इन सभी को लेखक ने क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया है। यह यात्रा न केवल सत्ता की सीढ़ियों को चढ़ने की कहानी है, बल्कि जनहित के प्रति अटूट निष्ठा और सेवा भावना की मिसाल भी है।

जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन के वाहक: एक सुशासक की भूमिका

लेखक ने विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के रूप में मनोज सिन्हा की भूमिका को केंद्र में रखा है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के पश्चात जब राज्य एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा था, तब उनके शांत, संयमित और दूरदर्शी नेतृत्व ने प्रदेश को नई दिशा दी। उन्होंने जहाँ एक ओर प्रशासनिक सुधारों को प्राथमिकता दी, वहीं दूसरी ओर जनता के मन में विश्वास और भरोसा भी स्थापित किया।

पुस्तक में विस्तार से वर्णन किया गया है कि कैसे उन्होंने पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन को बढ़ावा दिया। "जनभागीदारी" के मंत्र को अपनाते हुए उन्होंने पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाया, जिससे योजनाओं का लाभ अंतिम पंक्ति तक पहुँच सका। उनकी "जन सुनवाई" प्रणाली और "ब्लॉक दिवास" जैसे कार्यक्रमों ने शासन और जनता के बीच की दूरी को समाप्त किया।

कोविड-19 काल का साहसी नेतृत्व

लेखक ने कोविड महामारी के दौर में मनोज सिन्हा के नेतृत्व की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। जहाँ पूरा देश और विश्व एक गंभीर संकट से गुजर रहा था, वहीं उन्होंने जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता, मेडिकल संसाधनों की आपूर्ति और जनसहयोग की भावना को बनाए रखा। अस्पतालों का सुदृढ़ीकरण, ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना, वैक्सीनेशन की निगरानी, एवं आम जनता से सीधे संवाद – इन सभी उपायों को लेखक ने अत्यंत सराहनीय बताया है।

उन्होंने न केवल संक्रमितों के उपचार पर ध्यान दिया, बल्कि महामारी से प्रभावित व्यवसायों और परिवारों को आर्थिक राहत भी दी। फ्रंटलाइन वर्कर्स के सम्मान और प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देना, उनकी मानवीय संवेदनाओं का परिचायक है।

विकास की नई धारा: निवेश, रोजगार और शिक्षा का समन्वय

पुस्तक में आर्थिक विकास पर आधारित अध्याय अत्यंत प्रभावशाली है। मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर में निवेश को आकर्षित करने हेतु निवेश सम्मेलन, उद्योग नीति सुधार, भूमि बैंक का निर्माण, और पर्यटन को बढ़ावा देने जैसे अनेक कदम उठाए। इन प्रयासों से न केवल स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला, बल्कि राज्य की छवि भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सशक्त हुई।

शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में उनके प्रयासों का वर्णन करते हुए लेखक ने कहा है कि सिन्हा जी का दृष्टिकोण केवल नौकरी देने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना उनका उद्देश्य है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कई योजनाओं को लागू करना, तकनीकी संस्थानों की स्थापना और सांस्कृतिक धरोहरों के संवर्धन जैसे कदमों को भी लेखक ने विश्लेषणात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है।

जनता की दृष्टि में लोकप्रिय नेतृत्व

लेखक ने इस पुस्तक में अनेक प्रशंसात्मक टिप्पणियों, नागरिकों की प्रतिक्रियाओं, और प्रशासनिक अधिकारियों के अनुभवों को संजोया है, जो यह सिद्ध करते हैं कि मनोज सिन्हा जननेता हैं – उनके निर्णय चाहे कितने भी कठिन क्यों न हों, वे जनभावनाओं के अनुरूप होते हैं। उनकी सादगी, सहजता, और विनम्रता उन्हें आम जनता से जोड़े रखती है।

सार्वजनिक संवाद, खुले दरबार, मीडिया के साथ पारदर्शी व्यवहार और सोशल मीडिया के माध्यम से सीधा जुड़ाव – ये सभी पहलू उन्हें एक उत्तरदायी और यथार्थवादी प्रशासक के रूप में स्थापित करते हैं।

भाषा, शैली एवं प्रस्तुति: एक पठनीय शोध दस्तावेज

महंत रोहित शास्त्री ने पुस्तक की भाषा को गंभीरता के साथ-साथ सहजता का संतुलन प्रदान करते हुए प्रस्तुत किया है। जहाँ एक ओर यह पुस्तक शोधपरक तथ्यों से भरपूर है, वहीं दूसरी ओर इसमें मानवीय संवेदनाएँ भी विद्यमान हैं। लेखक की शैली, संवादात्मक एवं गद्यात्मक दोनों स्वरूपों में पाठक को बाँधे रखती है।

उदाहरणों, साक्षात्कारों, एवं घटनाओं के वर्णन से पुस्तक जीवंत प्रतीत होती है। प्रत्येक अध्याय एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिससे पाठक को समग्र समझ विकसित करने में सुविधा होती है।

निष्कर्ष: एक प्रेरक जीवन-दर्शन और प्रशासनिक आदर्श का प्रतिरूप

"मनोज सिन्हा – सेवा, समर्पण और सुशासन का प्रतीक" केवल एक व्यक्ति-विशेष की जीवनी नहीं है, यह भारतीय प्रशासनिक तंत्र में उभरते हुए आदर्श नेतृत्व का परिचायक ग्रंथ है। यह पुस्तक मनोज सिन्हा के नेतृत्व, जनसेवा, संवेदनशीलता, और कार्यकुशलता को एक प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करती है।

महंत रोहित शास्त्री का यह कृति-कार्य उनके प्रति श्रद्धा, सम्मान एवं राष्ट्रहित की भावना से परिपूर्ण है। यह न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनेगी। राजनीति, शासन और जनसेवा में रुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह पुस्तक अनिवार्य पठन है।

3 सप्ताह पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर