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Hasya Poetry: गोपालप्रसाद व्यास की कविता- तुम कहती हो कि नहाऊँ मैं!

हास्य
                
                                                         
                            तुम कहती हो कि नहाऊँ मैं!
                                                                 
                            
क्या मैंने ऐसे पाप किए,
जो इतना कष्ट उठाऊँ मैं?

क्या आत्म-शुद्धि के लिए?
नहीं, मैं वैसे ही हूँ स्वयं शुद्ध,
फिर क्यों इस राशन के युग में,
पानी बेकार बहाऊँ मैं?

यह तुम्हें नहीं मालूम
डालडा भी मुश्किल से मिलता है,
मैं वैसे ही पतला-दुबला
फिर नाहक मैल छुड़ाऊँ मैं? आगे पढ़ें

1 सप्ताह पहले

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