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तोता एंड मैना : प्रेमी दिलों की धड़कनें बयां करती ओम प्रकाश आदित्य की हास्य कविता

सांकेतिक तस्वीर
                
                                                         
                            भारत में एक दिल्ली है, जहाँ क़ुतुब की बिल्ली है।
                                                                 
                            
दिल्ली के कुछ हिस्से हैं, सबके अपने किस्से हैं।
एक पुरानी एक नई, दोनों सम्मुख देख गई।
कनाट प्लेस है एक यहाँ, चलते हैं दिलफेंक यहाँ।
ये गुलाब का लिली का, नई पुरानी दिल्ली का।
सबसे सुन्दर हिस्सा है, उसी जगह का किस्सा है।
सांझ हुई दिन बीत गया, दिन हारा तम जीत गया।
जवां दिलों के धड़कों पर, कनाट प्लेस की सड़कों पर।
परियों का अवतरण हुआ, गन्धर्वों का हरण हुआ।
मन सपनों के महक उठे, तरुओं पर खग चहक उठे।

एक नीम के तरुवर पर, बैठे थे दो खग सुन्दर।
एक डाल पर मैना थी, मैना सूर्य उदयना थी।
स्वर्ण नीड़ में लेटी थी, ऊँचे घर की बेटी थी।
अंग्रेजी में गाती थी, हिंदी में शर्माती थी।
इंग्लिश उसकी अच्छी थी, किसी मेम की बच्ची थी।
उसी डाल पर तोता था, बैठा बैठा रोता था।
तोता भोला भाला था, नीली कंठी वाला था।
वो हिंदी में अच्छा था, निर्धन घर का बच्चा था।
मौसम कुछ कुछ सर्द हुआ, हमदर्दी का दर्द हुआ।
मैना बोली हाउ डू यू डू, तोता बोला व्याकुल हूँ। 
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15 घंटे पहले

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