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ओमप्रकाश वाल्मीकि की जिस कविता पर विवाद हो रहा है

कविता
                
                                                         
                            पिछले दिनों संसद में महिला बिल पर अपनी बात रखते हुए आरजेडी सांसद मनोज झा ने ओम प्रकाश वाल्मिकि की कविता- 'ठाकुर का कुँआ' पढ़ी, जिस पर अव विवाद बढ़ता जा रहा है। वो कविता इस तरह से है- 
                                                                 
                            

चूल्हा मिट्टी का 
मिट्टी तालाब की 
तालाब ठाकुर का। 

भूख रोटी की 
रोटी बाजरे की 
बाजरा खेत का 
खेत ठाकुर का। 

बैल ठाकुर का 
हल ठाकुर का 
हल की मूठ पर हथेली अपनी 
फ़सल ठाकुर की। 

कुआँ ठाकुर का 
पानी ठाकुर का 
खेत-खलिहान ठाकुर के 
गली-मुहल्ले ठाकुर के 
फिर अपना क्या? 
गाँव? 
शहर? 
देश? 

एक वर्ष पहले

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