अपने विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं को व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम मातृभाषा है। इसी के जरिये हम अपनी बात को सहजता और सुगमता से दूसरों तक पहुंचा पाते हैं। हिंदी की लोकप्रियता और पाठकों से उसके दिली रिश्तों को देखते हुए उसके प्रचार-प्रसार के लिए अमर उजाला ने ‘हिंदी हैं हम’ अभियान की शुरुआत की है। इस कड़ी में साहित्यकारों के लेखकीय अवदानों को अमर उजाला और अमर उजाला काव्य हिंदी हैं हम श्रृंखला के तहत पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। हिंदी हैं हम शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- संसृति, जिसका अर्थ है- प्रवाह, संसार में बार-बार जन्म लेने की परंपरा; आवागमन, संसार; जगत; लोक। प्रस्तुत है अज्ञेय की कविता: मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
प्रिय, मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
बह गया जग मुग्ध सरि-सा मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
तुम विमुख हो, किंतु मैंने कब कहा उन्मुख रहो तुम?
साधना है सहसनयना-बस, कहीं सम्मुख रहो तुम!
विमुख-उन्मुख से परे भी तत्त्व की तल्लीनता है-
लीन हूं मैं, तत्त्वमय हूं अचिर चिर-निर्वाण में हूं!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
क्यों डरूं मैं मृत्यु से या क्षुद्रता के शाप से भी?
क्यों डरूं मैं क्षीण-पुण्या अवनि के संताप से भी?
व्यर्थ जिस को मापने में हैं विधाता की भुजाएं-
वह पुरुष मैं, मत्र्य हूं पर अमरता के मान में हूं!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
रात आती है, मुझे क्या? मैं नयन मूंदे हुए हूं,
आज अपने हृदय में मैं अंशुमाली को लिए हूं!
दूर के उस शून्य नभ से सजल तारे छलछलाएं-
वज्र हूं मैं, ज्वलित हूं, बेरोक हूं, प्रस्थान में हूं!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
मूक संसृति आज है, पर गूंजते हैं कान मेरे,
बुझ गया आलोक जग में, धधकते हैं प्राण मेरे।
मौन या एकांत या विच्छेद क्यों मुझ को सताये?
विश्व झंकृत हो उठे, मैं प्यार के उस गान में हूं!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
जगत है सापेक्ष, यां है कलुष तो सौंदर्य भी है,
हैं जटिलताएं अनेकों-अंत में सौकर्य भी है।
किंतु क्यों विचलित करे मुझ को निरंतर की कमी यह-
एक है अद्वैत जिस स्थल आज मैं उस स्थान में हूं!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
वेदना अस्तित्च की, अवसान की दुर्भावनाएं-
भव-मरण, उत्थान-अवनति, दु:ख-सुख की प्रक्रियाएं
आज सब संघर्ष मेरे पा गए सहसा समन्वय-
आज अनिमिष देख तुम को लीन मैं चिर-ध्यान में हूं!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
बह गया जग मुग्ध-सरि-सा मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
प्रिय, मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!
साभार - हिंदी समय
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4 वर्ष पहले
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