हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
- साहिर लुधियानवी
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं
- जिगर मुरादाबादी
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