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मुशायरों में हिंदी कविता सुनाने वाले विरले कवि ‘कुमार विश्वास’

Kumar vishwas famous poetry
                
                                                         
                            
आपका गीतों से वास्ता है या नहीं है। आपकी साहित्य में बहुत अधिक रुचि है या नहीं है। चाहें आपको कविताएं सुनना भी ज़्यादा पसंद न हो लेकिन तब भी कुमार विश्वास का नाम आपने सुना ही होगा। आज के सबसे लोकप्रिय कवि जिन्होंने युवाओं को अपने गीतों पर झूमने को मजबूर कर दिया। जब वह किसी मंच से गाते हैं ‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है’ तो सारी भीड़ एक स्वर में इसे गुनगुनाती है। कुमार न सिर्फ़ सस्वर कविता पाठ करने वाले कवि बल्कि एक बेहतरीन वक्ता भी हैं जो घंटों तक श्रोताओं को खुद से जोड़े रखते हैं। उनकी कविताओं में सहजता की डोर है और वाणी में पवन का वेग। वे जानते हैं कि सुनने वालों को साहित्य के आसमान पर कैसे टिकाए रखा जा सकता है। 

वे उन विरले कवियों में से एक हैं जो उर्दू मुशायरों में जाकर गर्व से हिंदी गीत गाते हैं और कहते हैं

‘ये उर्दू बज़्म है और मैं तो हिंदी मां का जाया हूं
ज़बानें मुल्क़ की बहनें हैं ये पैग़ाम लाया हूं
मुझे दुगुनी मुहब्बत से सुनो उर्दू ज़बां वालों
मैं हिंदी मां का बेटा हूँ, मैं घर मौसी के आया हूं’ 
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एक वर्ष पहले

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