गर्व होता है आज हमें भारत की शक्ति का,
जलाकर ज्वाला अपने अंतर, इसकी देशभक्ति का।
जो देश से हो जाए आसक्त,
जिसको न प्रिय हो राज औ’ तख़्त,
जो बहा दे इसकी रक्षा में रक्त,
वही कहलाता है देशभक्त।
देशभक्तों में सर्वोपरि स्वाधीनता सेनानी हैं,
जिनमें हो चुकी हरेक की अपनी अमर कहानी है।
प्रथम स्वाधीनता की जंग का रंग छूट पड़ा ऐसे,
मंगल पाण्डेय गोरों को मारने टूट पड़ा जैसे,
उस वीर के कदम से मैदान-ए-बैरकपुर लाल हुआ,
और रण सन् सत्तावन का सालों एक मिशाल हुआ।
एक वीरांगना जिसने गोरों को धूल चटाई थी,
वह महती उनतीस वर्षीय रानी लक्ष्मीबाई थी।
‘खूब लड़ी वह मर्दानी’- यह ख़बर हर ओर व्याप्त हुई,
लड़ते-मारते शत्रुओं को वीरगति को प्राप्त हुई।
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव जैसे वीर फाँसी पर झूले थे,
नेताजी, आज़ाद और तिलक कर्त्तव्य न अपना भूले थे।
गाँधी, नेहरु, पटेल, शास्त्री ने अपना कर्त्तव्य निभाया था,
संघर्ष करते-करते फिर बहुतों का साथ पाया था।
इतिहास में हो चुका अमर जिनका नाम है,
मेरा शत्- शत् उन्हें प्रणाम है।
जिन वीरों ने शत्रु पर वार किए,
और अपेक्षा पर अपने प्राण दिए,
माँगी न कभी जिन्होंने कृतज्ञता मुँह खोल,
साथी आज उनकी जय बोल।
महान हैं वे जो वतन पर प्राण दे जाते हैं,
महान हैं वे भी जो इसके हितकारी बन जाते हैं।
हर वो व्यक्ति जो देश का हित चाहता है-
देशभक्त कहलाता है।
वे व्यक्ति जो पिछड़े वर्ग का उत्थान कर जाते हैं,
वे किसान जिनके कारण हम भरपेट अन्न खा पाते हैं,
सैनिक जो अपना जीवन राष्ट्र-रक्षा के नाम कर जाते हैं,
देशभक्त कहलाते हैं।
साराभाई और कलाम, जो भारत को अंतरिक्ष पहुँचाते हैं,
वे उद्योगपति जो भारत को, उद्योग में आगे लाते हैं,
वे स्वकर्मी जो भारत को आत्मनिर्भर बनाते हैं,
देशभक्त कहलाते हैं।
वे जो देश में व्याप्त कुरीतियाँ मिटाते हैं,
नेता जो जन-जन की समस्या सामने लाते हैं,
लेखक जो जन समाज का दर्पण बन जाते हैं,
देशभक्त कहलाते हैं।
मैं आज उन देशभक्तों को याद करता हूँ,
और उन्हें शत्- शत् धन्यवाद करता हूँ।
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2 सप्ताह पहले
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