आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

हर दौर सुहाना है

                
                                                         
                            लंबी है उदासी ये,
                                                                 
                            
ख़ामोश तराना है II

कभी ठोकर लगती है,
ये दर्द पुराना है II

कभी डूब गए माना,
फ़िर तैर के जाना है II

कुछ राहें सफ़र की यूँ,
मुझे बढ़ते जाना है II

हँसती है तरन्नुम जो,
अफ़सोस भुलाना है II

राहों का सफ़र है ये,
हर दौर सुहाना है II

इक शिद्दत से चलना,
ये वादा है ख़ुद से II

कभी रुकना ना थकना,
मंज़िल पे ठिकाना है II
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
1 सप्ताह पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर