नाम सरल हो चाहे तुम्हारा,
गुण तुम में अनमोल है।
जितना सुंदर तन है तुम्हारा
उतना ही सुंदर मैन भी है।
लोग समझते अबला तुमको,
लेकिन तुम तो सकती हो।
दर्द हो चाहे कितना तुमको,
आसानी से पी लेती हो।
पहाड़ गमो का हो कितना भी,
फिर भी हंसती रहती हो।
मरते जीते साथ है रहती,
अपना हर वो फर्ज निभाती है।
और बताता क्या मैं तुमको ,
जितना लिखता कम लगता है।
नाम सरल हो चाहे तुम्हारा ,
गुण तुम में अनमोल है।
--मनोज कुमार
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7 वर्ष पहले
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