मैं आज की नटछडी युवा ,
थोडी नादा और थोडी दुआ,
अपनों का साथ सलोना ,
माॅं पापा का प्यारा खिलोना !
ख्बाब तो हरदम आखों में ,
सारा जहाॅं कैद है सासों में ,
उडने को मैं आजाद परिंदा ,
कहाॅं नजर में मेरे कोई घरोंदा !
कदम कदम बदले कभी इरादा ,
थामा कोई हाथ निभाता वादा ,
सोच लूँ जो मैं एक बार तो ,
मुश्किल है मुझे रब को रोकना !
मैं देश की मजबूत होती कमान ,
हाथों में मेरे विज्ञान की तीरकमान,
मुझसे बढता विदेशों में देश सन्मान !
हरदिन करु मैं नया अविष्कार ,
दुनिया ही बने मेरा संसार ,
मैं सिखाऊ सबको मानवता,
सबके साथ चलने में धन्यता !
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3 वर्ष पहले
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